"मेरा काल्पनिक_विरोधाभास💐💐💐" अक्सर सोचा बिना तुम्हारे.. अक्सर इन् तन्हा रातो मे.... कभी तो ऐसा होगा, मैं तुम से मिलूँगा .... जन्मो के बाद ही सही .... लेकिन मिलूँगा ... उसी तरह् ... जैसे चातक पूरे साल इंतजार करने के बाद ... स्वाति नछत्र की बूंदों से मिलता है.... इक नदी सारी मर्यादाओं को तोड़ बेचैन हो सागर से मिलती है और ठीक वैसे ही सागर की लहरें साहिल से मिलती हैं.... वैसे ही जैसे महीने भर इंतजार करने के बाद पूर्णमासी चाँद से मिलती है.. बिना तुम्हारे हर बार सोचा... चाहा के पुछूं तुमसे............ मिलोगे मुझसे??? शायद अब नही यही जवाब होगा हम दोनो का.. हा पता है..... शायद ...💔 हाँ इसी कशमकश में फिर ये सोच कर ठिठक जाता हुँ...... कि जो सफर कभी तय ही न हुए उनकी न नियति ना कोई मंजिल.. उस सफर par अब तक #kyu चल रहा हूँ main ??#kyu??.🙇♂️💔😥by-Ravi kanojia #jaan miss u so much..