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हजारों की भीड़ में तन्हाई लगती है अपनो का साथ कहा

हजारों की भीड़ में 
तन्हाई लगती है
अपनो का साथ कहां
अब तो जुदाई लगती है

करीब से देखा है मौत को
वो भी रूसवाई लगती है
मै जमाने में रहकर
न समझ पाई फितूर इसका
न जाने कौन सी
तंगी गली लगती है

कई दफह गुजरते हुए
बिलखते  कंगालों को देखा 
उनके माथे पर सुकून
की जो रेखाएं लगती हैं
तमाम दलीलें लिखी मगर
अब काश!की सजाएं लगती हैं।।

©Shilpa yadav #life
#My___Voice 
#jindagigulzarhai 
#Flower 

#Trees  J P Lodhi. Dhyaan mira Aman Shrivastava Sandip rohilla SHAYAR (RK)
हजारों की भीड़ में 
तन्हाई लगती है
अपनो का साथ कहां
अब तो जुदाई लगती है

करीब से देखा है मौत को
वो भी रूसवाई लगती है
मै जमाने में रहकर
न समझ पाई फितूर इसका
न जाने कौन सी
तंगी गली लगती है

कई दफह गुजरते हुए
बिलखते  कंगालों को देखा 
उनके माथे पर सुकून
की जो रेखाएं लगती हैं
तमाम दलीलें लिखी मगर
अब काश!की सजाएं लगती हैं।।

©Shilpa yadav #life
#My___Voice 
#jindagigulzarhai 
#Flower 

#Trees  J P Lodhi. Dhyaan mira Aman Shrivastava Sandip rohilla SHAYAR (RK)
shilpayadav7907

Shilpa Yadav

Bronze Star
Growing Creator