रिवाज-ए-नक्शे-ए-कदम पे चलते चलते, लोग और कितना गिरेंगे संभलते संभलते, आफताब चाहे लाख जला ले खुद को, अंधेरा हो ही जाता है शाम के ढलते ढलते.... #रिवाज़_ए_नक्शे_कदम #लोग #आफताब #शाम #अंधेरा #शाम