अब नही करती में किसी के तानो की कद्र । अब मन नही किसी से लड़ने झगड़ने का । हाँ चुप होगई हूँ। में मन शांत है । इसे शांत ही रहने दो गर उठगयीं तो जितके ही मानूँगी क्यों कि अभी हारी नही हूँ । में _अंजलि साहू_ हारी नही हूँ मै