वह पिछले चार-पाँच दिनों से बीमार है हाँ ! बीमार ही तो है वह बुख़ार से हाँफ़ती है कभी सरदी के कारण नाक बंद -सा है खड़ी नहीं रह पा रही देर तक, बैठ जाती है रुक-रुककर लगातार चक्कर आ रहे हैं कुछ स्वाद नहीं मिल रहा जो कुछ मुँह में डाले उसके सर में इतने ज़ोर का दर्द है कि आँख बंद कर लेटने के अलावा कोई उपाय नहीं शायद होमियोपैथी की चार-बंदें तीन-चार बार लेने को कहा गया है 'नो' कहते हैं कि ठीक हो जाएगी, नह भी चुपचाप वही कर रही है क्या यह ठीक है ? नह भी ठीक मान बैठी है वज़ूद उसका