रिश्तों में रूठना मानना... रिश्तों में रूठने बनाने की परंपरा.... पुरानी है... रिश्तों में रूठने मनाने का रिवाज... कुछ ऐसा होना चाहिए की जब तुम किसी रूठे मानयो तो जरूरी नहीं उसके पसंद की कोइ चीज लाकर दो... उसे विश्वास दिलाओ की आप उसे मानने में कितने सच्चे है... उसकी फिक्र खुद से ज्यादा करते हैं खुद से ज्यादा उसे चाहते है.... क्योंकि रिश्तों में रूठने का हक सिर्फ छोटे का होता है...रिश्तों में बड़ो का रूठना तो बस किसी की जिद पूरी करने जैसा होता है... किसी रूठे को मनायो तो अपनी सच्चाई से नाकी अपनी जिद से... रिश्तों में रूठना मनाना तो चलता रहता है.... ©Priyanshu Thakur रिश्तों में रूठो को मनाना