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काजल लगी ये आखे कायनात पर छा रही है। दिल के दरखतो

काजल लगी ये आखे कायनात पर छा रही है।
दिल के दरखतो पर, कयामत सी ला रही है।।

नूरानी आखे तेरी इनसे नूर टपक रहा है।
नशा है इनमें हल्का मदहोश कर रही है।।

कुछ मरसिम(रिश्ता) सा हो गया है।
जिसकी जुस्तजू (तलाश) नहीं रही है।।

 मना की आंखो से तेरी इख्लास ( लगाव) है।
मुंतजिर (इंतजार) की रिवायत(प्रथा) नहीं रही है।।

© Boywhowritesimply #kuchkahnahaitumse
@Boywhowritesimply
काजल लगी ये आखे कायनात पर छा रही है।
दिल के दरखतो पर, कयामत सी ला रही है।।

नूरानी आखे तेरी इनसे नूर टपक रहा है।
नशा है इनमें हल्का मदहोश कर रही है।।

कुछ मरसिम(रिश्ता) सा हो गया है।
जिसकी जुस्तजू (तलाश) नहीं रही है।।

 मना की आंखो से तेरी इख्लास ( लगाव) है।
मुंतजिर (इंतजार) की रिवायत(प्रथा) नहीं रही है।।

© Boywhowritesimply #kuchkahnahaitumse
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