मैंने तो धीरे से, नींदों के धागे से बांधा है ख़्वाब को तेरे मैं ना जहां चाहूं, ना आसमान चाहूं आ जा हिस्से में तू मेरे - Irshaad Kamil मैं ना जहां चाहूं, ना आसमान चाहूं आ जा हिस्से में तू मेरे💌