पहले बच्चे और उसके क़ातिलों का मज़हब समझा जाए फिर उसके बाद उसमे आंसू आग ज़हर उँड़ेला जाए एहसास और हमदर्दी भी जहां फ़िरकापरस्त हो गए हों ऐसी दुनिया में बेहतर है मुझे ला मज़हब ही समझा जाए Musings- 7/6/19