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न जाने कितनी बार जलना पड़ा मुझे तुम राम न हुए, सीत

न जाने कितनी बार जलना पड़ा मुझे
तुम राम न हुए, सीता बनना पड़ा मुझे

खुद को साबित जो करना था हर बार
इस बार भी विष निगलना पड़ा मुझे

रोशनी की चाहत में जली थी यूं तो
लेकिन तमाम रात पिघलना पड़ा मुझे

कुछ दूर तक तो जैसे कोई मेरे साथ था
इसी भ्रम में, सफर तय करना पड़ा मुझे

धारदार थीं यहां तमाम राहें मेरी
संभल संभल कर चलना पड़ा मुझे
 #rztask360 
#rzलेखकसमूह 
#restzone 
#बूंदे
न जाने कितनी बार जलना पड़ा मुझे
तुम राम न हुए, सीता बनना पड़ा मुझे

खुद को साबित जो करना था हर बार
इस बार भी विष निगलना पड़ा मुझे

रोशनी की चाहत में जली थी यूं तो
लेकिन तमाम रात पिघलना पड़ा मुझे

कुछ दूर तक तो जैसे कोई मेरे साथ था
इसी भ्रम में, सफर तय करना पड़ा मुझे

धारदार थीं यहां तमाम राहें मेरी
संभल संभल कर चलना पड़ा मुझे
 #rztask360 
#rzलेखकसमूह 
#restzone 
#बूंदे
seemakatoch7627

Seema Katoch

New Creator