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सच में "सपने" ही "अपने" होते हैं, और बाकी तो सिर्फ

सच में "सपने" ही "अपने" होते हैं,
और बाकी तो सिर्फ "सपने" होते हैं..!!

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) ना जाने क्यूँ बेचैनी बढ़ रही है आज,
ना जाने क्या है इसका राज़,
जा रहा हूँ मैं,
आँखें मूंदने, नींदें ओढ़ने,
अपने ख्वाबों की दुनियाँ में,

क्यूँकि वो ही एक जगह है,
जहाँ सच हो जाते हैं मेरे सपने,
सच में "सपने" ही "अपने" होते हैं,
और बाकी तो सिर्फ "सपने" होते हैं..!!

(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) ना जाने क्यूँ बेचैनी बढ़ रही है आज,
ना जाने क्या है इसका राज़,
जा रहा हूँ मैं,
आँखें मूंदने, नींदें ओढ़ने,
अपने ख्वाबों की दुनियाँ में,

क्यूँकि वो ही एक जगह है,
जहाँ सच हो जाते हैं मेरे सपने,
uttamdixit7701

Uttam Dixit

New Creator