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ग़ज़ल जब जबाव ही न मिले तो सवाल क्या करे? हर छोटी-

ग़ज़ल
जब जबाव ही न मिले तो सवाल क्या करे?
हर छोटी-छोटी बातों पर बवाल क्या करें?

मजा तो बहुत आता है खतरों से खेलने में,
मगर हिम्मत ही नहीं तो मजाल क्या करें?

सरसरी निगाह में ही हालात हो जाते है बेकाबू,
उसकी ओर ध्यान देकर खुदको बेहाल क्या करे?

आइना तो यूं लटका है अरसों से दीवारों पर,
तुम्हे ही कुछ नहीं दिखता मायाजाल क्या करे?

यहां गिलास-ए-जाम दिखते ही लग जाती है तलब,
जिसका मन ही काबू में नहीं वो कमाल क्या करे?

राही तो चलता रहा अपने गाफिलाना अंदाज़ में,
आरज़ू-ए-रफ्तार लिए लड़खड़ाती चाल क्या करें? ग़ज़ल
#सरसरी_निगाह 
#आइना #मायाजाल #गिलास_ए_जाम 
#राही #गाफिलाना
#आरज़ू_ए_रफ्तार  #लड़खड़ाती_चाल
ग़ज़ल
जब जबाव ही न मिले तो सवाल क्या करे?
हर छोटी-छोटी बातों पर बवाल क्या करें?

मजा तो बहुत आता है खतरों से खेलने में,
मगर हिम्मत ही नहीं तो मजाल क्या करें?

सरसरी निगाह में ही हालात हो जाते है बेकाबू,
उसकी ओर ध्यान देकर खुदको बेहाल क्या करे?

आइना तो यूं लटका है अरसों से दीवारों पर,
तुम्हे ही कुछ नहीं दिखता मायाजाल क्या करे?

यहां गिलास-ए-जाम दिखते ही लग जाती है तलब,
जिसका मन ही काबू में नहीं वो कमाल क्या करे?

राही तो चलता रहा अपने गाफिलाना अंदाज़ में,
आरज़ू-ए-रफ्तार लिए लड़खड़ाती चाल क्या करें? ग़ज़ल
#सरसरी_निगाह 
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#राही #गाफिलाना
#आरज़ू_ए_रफ्तार  #लड़खड़ाती_चाल