इस दुनिया में कोई जब, भंँवरे सा उक्ताएगा। हाथी रूपी वक्त से ज़रूर कुचला जाएगा। कोई जब अभिमान वश, खरगोश सा रुक जाएगा। धीरे - धीरे कछुए रूपी वक्त, बाजी जीत जाएगा। कोई जब अभिमान वश, पेड़ सा तन जाएगा। वक्त की तेज़ आंँधी से, एक दिन गिर जाएगा। ऐ इंशा! ऐसे कब तक उक्ताएगा, यूंँ क़िस्मत को दोषी ठहराएगा। अभी न संभला तो "मन", सारी उम्र पछताएगा। #napowrimo में आज पाँचवाँ दिन है। दुनिया ये अजीबो ग़रीब दुनिया। ये कमाल की दुनिया। #इसदुनियामें #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi