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खिलखिलाती बागों की क्यारी जैसी; लहलाहती धानों की

खिलखिलाती बागों की क्यारी जैसी; 
लहलाहती धानों  की बाली जैसी; 
नाचती मयूरी जैसी;
गाती कोयल की कूक जैसी;
अल्हड़पन तेरी बंदरों जैसी; 
सोच बलखाती नदियों की धार जैसी;
तुम मन की सुंदर मीत मेरी ;
फिर न जाने क्यूं ऐसा लगता ....
जैसे, प्रसन्नता की सरिता को किसी ने
कंकड़ी मारकर अस्थिर कर दिया हो।।

                                   ~Meri lekhni

©Beauty Kumari #friendshipdaypoem
#hindipanktiyan
#poertyhindi #bestfriend 

#LateNight
खिलखिलाती बागों की क्यारी जैसी; 
लहलाहती धानों  की बाली जैसी; 
नाचती मयूरी जैसी;
गाती कोयल की कूक जैसी;
अल्हड़पन तेरी बंदरों जैसी; 
सोच बलखाती नदियों की धार जैसी;
तुम मन की सुंदर मीत मेरी ;
फिर न जाने क्यूं ऐसा लगता ....
जैसे, प्रसन्नता की सरिता को किसी ने
कंकड़ी मारकर अस्थिर कर दिया हो।।

                                   ~Meri lekhni

©Beauty Kumari #friendshipdaypoem
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#LateNight