बहती हवा ने हौले से कानों में बता दिया पहचान लो सबको मैंने नकाब हटा दिया खो जाते हैं अक्सर भीड़ में चलने वाले अपना रास्ता खुद चुनना हमें सीखा दिया मुड़ जाती हैं डालियांं जिधर भी मुड़ जाऊं जग की हकीकत से ऐसे वाकिफ करा दिया जाने कहां उड़ जाते शाख से टूटे हुए पत्ते जड़ों से जुडने का सबक हमको पढ़ा दिया ए हवा थोड़ा संभल कर जाना तू भी इधर से अब हम वो नहीं जिसने जब चाहा रुला दिया बहती हवा ने हौले से कानों में बता दिया पहचान लो सबको मैंने नकाब हटा दिया खो जाते हैं अक्सर भीड़ में चलने वाले अपना रास्ता खुद चुनना हमें सीखा दिया मुड़ जाती हैं डालियांं जिधर भी मुड़ जाऊं