'कल एक ख़त मिला मुझे मेरी अलमारी में, और एक टूटा बस्ता, उस अंधेरी चारदीवारी में। मैंने देखा मेरी लिखावट, जो अब पहले सी नहीं। कुछ धूल की पर्तें जो काफी गहरी हो रहीं। मेरे घर का पता जो अब बदल चुका है, मैं बस उस दीवार को देखता रहा,जो अब मुझे खो चुका है। उस काग़ज पर स्याही अब बड़ी बेतरतीब सी लगती है, जल्दबाजी की हिन्दी है पर शांत उर्दू सी दिखती है। पर उस ख़त में सब वैसा ही था, जैसा मुझे पसंद था, जैसा मैं चाहता था। कुछ अनकही बातें है, कुछ हसी के किस्से है, जिसे भेजना था उसका पता है, क्यूँ ना भेज सका उस कहानी के हिस्से है।' ख़त #yourquotebaba #yqbaba #yqdidi #yourquotes #yqhindi #yourquote #rakshism #yourquotedidi