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बहुत आज़माएँ है तुमने बेशक, कभी मुझे भी आजमा लेना।

बहुत आज़माएँ है तुमने बेशक,
कभी मुझे भी आजमा लेना।
मुसाफिर डुबोए हैं तुमने जो,
सब के सब अनाड़ी थे।
समुन्दर का तैराक हूँ मैं, 
कभी हसरतें मिटा लेना।
       --निखिल की कलम से। #Shayri #of #my #attitude
बहुत आज़माएँ है तुमने बेशक,
कभी मुझे भी आजमा लेना।
मुसाफिर डुबोए हैं तुमने जो,
सब के सब अनाड़ी थे।
समुन्दर का तैराक हूँ मैं, 
कभी हसरतें मिटा लेना।
       --निखिल की कलम से। #Shayri #of #my #attitude
nikhilkumar6445

Nikhil Kumar

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