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कि उसकी संतान , उसका सम्मान करें। थोड़ा नया, थोड़ा

कि उसकी संतान ,
उसका सम्मान करें।
थोड़ा नया, थोड़ा पुराना,
वर्तमान का भी ध्यान रखें।
नहीं चाहती धन और दौलत,
ना ऐशों-आराम की ख्वाहिश होती।
दिया करो तुम अपनी खबर,
पूंछा करो उसकी खैरियत।
बस यही चाहत,
 है वो अपने मन में रखती
   ...एक औरत जब तक युवती होती है ,वह करीब करीब हर मामले में पुरुषों के समकक्ष होती है।पर जब वह पत्नि बनती है तो वह युवती से स्त्री बन जाती है।पर वही युवती जब मां बनती है,तो वह पूरी तरह परिवर्तित हो जाती हैं।ना सिर्फ शरीर से बल्कि विचारों से भी।
उसे अपनी संतान के सिवा कुछ और नज़र नहीं आता। उसकी नींद उसकी भूख सब कुछ उसकी संतान की दिनचर्या के अनुसार निर्धारित होती हैं।
फिर एक वक्त आता है जब मां अपने संतान को उसके उज्जवल भविष्य की खातिर स्वय़ से दूर करती है।
अब मां सोचती है,कि अब वो क्या करें??
वह अपनी पंसद का भोजन बनाना चाहती है,पर शरीर साथ नहीं देता।जिन हाथों से वह पूरे दिन कुछ ना कुछ बनाते रहती थी। खुद के लिए सामान्य भोजन बनाना भी मुश्किल हो जाता है।
वह जी भर के सोना चाहती है,पर उसकी नींद तो संतान के साथ ही बिदा हो चुकी होती है।
वह श्रृंगार करना चाहती है,पर बालों में झांकती सफेदी उसे शर्मिन्दा करते हैं।
वह कुछ नयी जगहों पर जाना चाहती है,पर शरीर इजाजत नहीं देता।
कि उसकी संतान ,
उसका सम्मान करें।
थोड़ा नया, थोड़ा पुराना,
वर्तमान का भी ध्यान रखें।
नहीं चाहती धन और दौलत,
ना ऐशों-आराम की ख्वाहिश होती।
दिया करो तुम अपनी खबर,
पूंछा करो उसकी खैरियत।
बस यही चाहत,
 है वो अपने मन में रखती
   ...एक औरत जब तक युवती होती है ,वह करीब करीब हर मामले में पुरुषों के समकक्ष होती है।पर जब वह पत्नि बनती है तो वह युवती से स्त्री बन जाती है।पर वही युवती जब मां बनती है,तो वह पूरी तरह परिवर्तित हो जाती हैं।ना सिर्फ शरीर से बल्कि विचारों से भी।
उसे अपनी संतान के सिवा कुछ और नज़र नहीं आता। उसकी नींद उसकी भूख सब कुछ उसकी संतान की दिनचर्या के अनुसार निर्धारित होती हैं।
फिर एक वक्त आता है जब मां अपने संतान को उसके उज्जवल भविष्य की खातिर स्वय़ से दूर करती है।
अब मां सोचती है,कि अब वो क्या करें??
वह अपनी पंसद का भोजन बनाना चाहती है,पर शरीर साथ नहीं देता।जिन हाथों से वह पूरे दिन कुछ ना कुछ बनाते रहती थी। खुद के लिए सामान्य भोजन बनाना भी मुश्किल हो जाता है।
वह जी भर के सोना चाहती है,पर उसकी नींद तो संतान के साथ ही बिदा हो चुकी होती है।
वह श्रृंगार करना चाहती है,पर बालों में झांकती सफेदी उसे शर्मिन्दा करते हैं।
वह कुछ नयी जगहों पर जाना चाहती है,पर शरीर इजाजत नहीं देता।
mamtasingh9974

Mamta Singh

Bronze Star
New Creator
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