मैं बातें करूंगी बहोत बातें करूंगी मगर तुमसे नहीं अपनी किताबों से। मैं प्यार करूंगी बहोत प्यार करूंगी मगर तुमसे नहीं अपनी किताबों से। मैं ख्याल रखूंगी बहोत ख्याल रखूंगी मगर तुम्हारा नहीं अपनी किताबों का। सुना है एक दिन सब छोड़ के चले जायेंगे मगर ये मेरी किताबें नहीं जायेंगे अगर गए भी तो मुझे बहुत कुछ सीखा कर जाएंगे शायद मुझे पहले से और बेहतर बना जायेंगे। मैं क्यों कैसे करूं तारीफें तुम्हारी, मुझे मेरी किताबों से फुर्सत नहीं मिलती। इकलौता दोस्त है मेरा, मुझे कुछ ना कुछ बताया जाता है बदल कर पूराने से नया से होता जाता है ख़ुद को बदल कर मुझे भी बदलने का हुनर रखता है मुझे किताबों से बेहद मोहब्बत है। हां तुमसे भी ज्यादा मैंने इसको वक्त दिया है। तुम तो चले जाओगे एक दिन, आगे बढ़ने के लिए मुझे इसके साथ ही रहना हां मुझे मेरी किताबों से बहुत मोहब्बत है। ©Ruhi #Books #kitabein