आज का दोहा जो अपने वश में नहीं,करो न उसकी चाह। चाहत गर पूरी न हो, मुख से निकले आह।।२४३।। कभी नहीं देना यहाँ, किस्मत का तुम दोष। इस जीवन में जो मिला,कर लो तुम संतोष।।२४४।। #दोहे #जीनासीखलिया #विश्वासी