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बारिश हो या धूप हो, उसे बस चलते जाना था.. मजबूरी ऐ

बारिश हो या धूप हो,
उसे बस चलते जाना था..
मजबूरी ऐसी ही होती है साहब,
कहां मुमकिन उसका रुक जाना था..
आख़िर रोंकता भी वो कदम तो कैसे रोंकता,
घर में दो वक्त की रोटी जो ले जाना था... #poem #Poetry #writer
बारिश हो या धूप हो,
उसे बस चलते जाना था..
मजबूरी ऐसी ही होती है साहब,
कहां मुमकिन उसका रुक जाना था..
आख़िर रोंकता भी वो कदम तो कैसे रोंकता,
घर में दो वक्त की रोटी जो ले जाना था... #poem #Poetry #writer