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क़ैद हैं निग़ाहों में बन के जो ख़्वाब,बहकाते हैं क़दम

 क़ैद हैं निग़ाहों में बन के जो ख़्वाब,बहकाते हैं क़दम हमारे बन के शराब..!
अब दिल नहीं लगता कहीं बिन तुम्हारे,ख़्यालों ने की हैं मेरी आदतें ख़राब..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #stilllife #kaid