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सांसे भी बिक रही दुनिया के बाज़ार में ज़िंदा रहने

सांसे भी बिक रही दुनिया के बाज़ार में
ज़िंदा रहने की जद्दोजहद लगी है
अस्पतालों के हर बिस्तर पर 
ज़िंदगी की जंग छिड़ी है
कई मासूम आंखें ख़ुदा पर नज़र गड़ाए
प्रार्थनाओं, दुआओं में सुबह शाम लगी है
कैसी महामारी.. कैसी बीमारी है
कई सवालों पर सवाल में लगी है
कहीं चूल्हा सुना पड़ा है
भूख रोए रोटी की आस लगी है
कहीं लाशों पर लाश लदी है
शमशानों में भीड़ लगी है
वीरान गालियां सड़के है खाली
शहर में मनहुसियत की आग लगी है
वक्त ठहर गया हो कई सदियों से जैसे
भागती दुनिया को किसकी नज़र लगी है
न जाने ये दौर कब कैसे खत्म होगा
वक्त के हर पल से आस लगी है

©Swati kashyap #Corona#coronavirus#nojoto#nojotowriter#nojotopoetry#nojotonews#corona_Alerts
सांसे भी बिक रही दुनिया के बाज़ार में
ज़िंदा रहने की जद्दोजहद लगी है
अस्पतालों के हर बिस्तर पर 
ज़िंदगी की जंग छिड़ी है
कई मासूम आंखें ख़ुदा पर नज़र गड़ाए
प्रार्थनाओं, दुआओं में सुबह शाम लगी है
कैसी महामारी.. कैसी बीमारी है
कई सवालों पर सवाल में लगी है
कहीं चूल्हा सुना पड़ा है
भूख रोए रोटी की आस लगी है
कहीं लाशों पर लाश लदी है
शमशानों में भीड़ लगी है
वीरान गालियां सड़के है खाली
शहर में मनहुसियत की आग लगी है
वक्त ठहर गया हो कई सदियों से जैसे
भागती दुनिया को किसकी नज़र लगी है
न जाने ये दौर कब कैसे खत्म होगा
वक्त के हर पल से आस लगी है

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