अर्थ न जाने संत का, करते हैं सत्संग भेड़ भेड़िया भोज में, बैठे एक ही ढंग ईश्वर अल्ला नाम से,चलती हैं सरकार व्यापारी सत्संग करे,साधू करे व्यापार झूठें संत फ़कीर के, आगे शीश नवाय कालनेमी पर्वत चढ़े,राम राम चिल्लाय ©Deepak Sisodia #TrueBook