दर्द में भी अश्क बहते नहीं अब, आ मेरी आँखों में अपने आब देजा, मुंतज़िर बैठे हैं जो सदियों से हम, आ इस तपस्या का मुझे इनाम देजा, हिज़्र की रात है और सबा भी हसीं है, मेरी ज़िंदगी में आ थोड़ा क़याम देजा, मय के प्याले भी खाली पड़े हैं अब, आ अपनी आंखों का थोड़ा इनमें ज़ाम देजा...।। #pyari_soch #MoonHiding #alone #Love #thought #Shayar #Shayari #Quote #Like #SAD #Happy