White ""बजट बिगडया"" सब्जी पर लहसुन का राज बढ़े टमाटर बढ़े प्याज कैसे सूखी रोटी खाएं, बहुमूल्य हो गया अनाज चटनी हो गई दाल बराबर दाल हो गई मछली मांस गोभी बैंगन और मिर्च के रेट देखकर फूले सांस। 100 ₹ पर लगा रहे हैं पांच टके का सीधा ब्याज। मजदूरी दर बढ़ी न उतनी जितनी महंगाई है आज। कुछ तो जतन करो रे भैया दिलवादो कोई धंधा-काज बेरोजगारी में भटक रहा देश का सारा यूथ समाज। ©Vijay Vidrohi ||बजट_बिगडया|| #my #new #poetry #poem #shayri #बजट #बेरोजगारी #महंगाई #byaj #garibi zindagi in hindi urdu poetry poetry in hindi hindi poetry sad poetry hindi poetry on life