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श्वेत शिखा पर और भी ऊपर सुरभित पवन है बह रही, आओ प

श्वेत शिखा पर और भी ऊपर सुरभित पवन है बह रही,
आओ प्यारे लगा गले लूं छाँह-तपन
 सह रही।
मां धरती कह रही...... #MaDhartiKahRahi
#poem
#KaviKumarSumit
श्वेत शिखा पर और भी ऊपर सुरभित पवन है बह रही,
आओ प्यारे लगा गले लूं छाँह-तपन
 सह रही।
मां धरती कह रही...... #MaDhartiKahRahi
#poem
#KaviKumarSumit