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देखा एक ख़्वाब, " हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो

देखा एक ख़्वाब, " हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो
कुछ इमारतें क़यामत तक
खंडहर नही होती..

" रौनक़ वासुदेव " #Rekha
देखा एक ख़्वाब, " हुस्न ताज़ का हो ..या मुमताज़ का हो
कुछ इमारतें क़यामत तक
खंडहर नही होती..

" रौनक़ वासुदेव " #Rekha