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यही बुराई है मुझ में" यही बुराई है मुझ में कि,ज़ु

यही बुराई है मुझ में"

यही बुराई है मुझ में कि,ज़ुल्म  सितम 
देख के औरत पर ,हम चुप नहीं रहते।

कईयों की नज़र में, हम तीर से चुभते हैं ,
कईयों की नज़र में ,हम बद जुबान लगते।

सब परेशान घर में और दुखी हैं हमसे, 
दहेज के लोभी, भाग रहे हैं तोड़ के रिश्ते।

©Anuj Ray
   # यही बुराई है मुझ में"
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Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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# यही बुराई है मुझ में" #कविता

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