हर सफ़र की गहन सी थकावट हो तुम जो समझ में ना आये लिखावट हो तुम जब प्यास लग जाये गर्मी भरी राह में 'नींबू-पानी' के जैसी तरावट हो तुम --प्रशान्त मिश्रा "नींबू पानी"