जब तक जिस्म में जान है बाकी, लड़ता रहूंगा मन से भय को दूर भगाकर, अकड़ता रहूंगा सब कुछ विपरीत है,पर डरूंगा नहीं वो कोशिश हजार कर ले , पर मरूंगा नही मैं तब नहीं टूटा,जब मेरे अपने ही, पराये हुए थे हौसला देना तो दूर, वोमुझको डराए हुए थे मगर वो खून जो बहता है मेरी नस-नस में वो हर पल मुझ में जोश भरता रहा बस इस तरह ही मैं निर्भीक आगे बढ़ता रहा ✍️ कुमार विक्रांत ©Vikrant Jain #arabianhorse