समेट लेता हूं खुद को दुनिया की नजरोसे चुरा के रूठ जाता हूं खुद से अक्सर तुझको मनाने अक्सर अकेले पन में यही तो होता है तू मान भी जाती है पर अकेला पन रोता है अकेला पन .... तू नथी तब का साथी...कैसे अकेला छोड़ू उसे...