अमावस की काली रातों में अमावस की काली रातो मे दिल का दरवाजा खुलता हैं जब दर्द ख्याली रातो मे गम आंसू के संग घुलता हैं जब अपने कमरे मे हम निपट अकेले होते हैं घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं सब सोते हैं हम रोते हैं जब बार बार दोहराने से सारी यादे चुभ जाती हैं जब उच्च नीच समझने मे माथे की नश दुख जाती हैं . तब-तब उस पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता हैं और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता हैं .#अमावश की #रातो मे