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पल्लव की डायरी हालात हम अपने कैसे बयान करे हर साल

पल्लव की डायरी
हालात हम अपने कैसे बयान करे
हर साल ठगे जाते है
बेहतरी के लिये सँजोते हर पल नव वर्ष पर
मगर ठहराव और मुश्किलें से निजानन्त नही पाते है
रोशनी की किरणें कैद है सत्ता के हाथों
हम हमेशा धुँध के हाथों ठगे जाते है
नये नये फार्मूले इजात करती सरकारे
संकट आवाम पर बढ़ाती है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #2023Recap हर साल नये फार्मूले से ठगे जाते है
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