बचपन और उम्मीद मुझे नहीं चाहिए कामयाबी और रूतबा, ऐ जिंदगी। हो सके तो बचपन के वो दोस्त लौटा, ऐ जिंदगी।। फिर लङे हम एक दूसरे की किताब फाङकर। उम्र का फिर वही पङाव दिखा, ऐ जिंदगी।। कुछ ख्वाहिशों के बदले लूट ली तुने, मुस्कुराहटें हमारी। तुझ सा कोई नहीं हो सकता लूटेरा, ऐ जिंदगी।। आगे बढते बढते बहुत कुछ खो चुका हूं मैं। अब सहन नहीं होता, पिछे हटना भी सीखा,ऐ जिंदगी। । आखरी अहसान कर जीने के लिए, ऐ जिंदगी। बस कैसे भी करके, दोस्तों से मिला ऐ जिंदगी।। Mr.Rahul Pandey✍️✍️