जर्रे - जर्रे , चलत - चलत यूं शहर भए सुनसान , जान बचाने की खातिर आज भूखा है इंसान। डग - डग, पग- पग धीर धरे, एक पूछत लाल बिचार, कित आवत मां गाम है और कितनो डग भयो पार। पैरन-पैरन पीर भए और पंछी चले सुदूर, आज भूखमरी की छांव में, सब आ बैठे मज़दूर। नैनन - नैनन नीर बहे, क्यूं छोड़ चले परदेस, मौत अकाली देखकर, सब दंग रह गए देश। कहे परिंदा देखकर , ये क्या धरती का हाल, इक दिन सबको ले डूबेगा कोरोना का काल। ©Rachna # Pathetic situation at the time of corona