Nojoto: Largest Storytelling Platform

कहां पर बोलना है और कहां पर बोल जाते हैं जहां पर ख

कहां पर बोलना है
और कहां पर बोल जाते हैं
जहां पर खामोश रहना होता है
वहीं पर मुंह खोल जाते हैं
जब कटा शीष अमृता देवी
 का तो हम खामोश रहे
लेकिन जब कटा सीन पिक्चर का
 तो सब बोल जाते हैं
नई नस्ल के यह बच्चे
 जमाने भर की सुनते है
मगर मां-बाप कुछ बोले तो
 बच्चे बोल जाते हैं
बहुत ऊंची ऊंची दुकानों में 
कटाते हैं जेब सब अपनी
मगर गरीब मजदूर मांगेगा तो
 सिक्के भी बोल जाते हैं
अगर गलती हो मखमल की तो
 सब चुपचाप रहते हैं
मगर फटी चादर की गलती हो
 तो सब बोल जाते हैं
हवाओं की तबाही को
 तो सब चुपचाप सहते हैं
मगर गलती हो चिरागों की
 तो सब बोल जाते हैं
बनाते पीते हैं रिश्ते
 जमाने भर से अक्सर
मगर जब घर में हो जरूरत 
तो रिश्ते भूल जाते हैं
कहां बोलना होता है और कहां बोल जाते हैं
जहां खामोश रहना होता है वहां मुंह खुल जाते हैं

©Monika kanwar my topics#social issues
कहां पर बोलना है
और कहां पर बोल जाते हैं
जहां पर खामोश रहना होता है
वहीं पर मुंह खोल जाते हैं
जब कटा शीष अमृता देवी
 का तो हम खामोश रहे
लेकिन जब कटा सीन पिक्चर का
 तो सब बोल जाते हैं
नई नस्ल के यह बच्चे
 जमाने भर की सुनते है
मगर मां-बाप कुछ बोले तो
 बच्चे बोल जाते हैं
बहुत ऊंची ऊंची दुकानों में 
कटाते हैं जेब सब अपनी
मगर गरीब मजदूर मांगेगा तो
 सिक्के भी बोल जाते हैं
अगर गलती हो मखमल की तो
 सब चुपचाप रहते हैं
मगर फटी चादर की गलती हो
 तो सब बोल जाते हैं
हवाओं की तबाही को
 तो सब चुपचाप सहते हैं
मगर गलती हो चिरागों की
 तो सब बोल जाते हैं
बनाते पीते हैं रिश्ते
 जमाने भर से अक्सर
मगर जब घर में हो जरूरत 
तो रिश्ते भूल जाते हैं
कहां बोलना होता है और कहां बोल जाते हैं
जहां खामोश रहना होता है वहां मुंह खुल जाते हैं

©Monika kanwar my topics#social issues

my topicssocial issues