कहां से आया, कहां है जाना भूल जाता हुं पुरानी वो गलियां अपना आश़ियाना भूल जाता हुं न बैठो यूं झुका के पलकें मेरे सामने तुम जांना निगाहें तुम पे पड़ती हैं तो ज़माना भूल जाता हुं मुश़लश़ल देखता रहता हुं तेरे रुख़शार पे रौनक़ खो जाता हुं कुछ ऐसे कि नजरें हटाना भूल जाता हुं ये गीत,ये गज़लें मुझे क्या ख़बर क्या हैं तुझे सुनकर मै दुनिया का हर तराना भूल जाता हुं ये पूंछा चांद से हमने बता कैसा है सनम मेरा वो बोला देखता हुं तो जगमगाना भूल जाता हुं तेरी बांहों मे सोने के मज़े अब क्या बताए ,, सैज ,, तेरी ज़ुलफों के साये मे हर मौसम सुहाना भूल जाता हुं ©saij salmani अdiति NIKHAT دل سے درد کا رشتہ Kishori (ᵔᴥᵔ)