कभी-कभी कभी-कभी तुम याद बहुत आने लगते हो, के रूठते हो कभी और कभी मनाने लगते हो, गीला तो यह है कि मेरे पास तुम ठहरते ही नहीं, कभी मिल भी जाओ तो नज़रे चुराके जाने लगते हो। यह बात "साहू" तेरी मज़ाक है के नहीं, तेरे दिल में इश्क़ की आग अब है के नहीं, वैसे तो अब तू भी तेरा रह न पाया है, जो भी है तेरा अब उसको तुम आज़माने लगते हो। वो कौन है जो भेजे ख़त और तार तुझको, यही सवाल क्यों है ना-गवार तुझको, तेरी शायरी है क्या बता बुरा भला क्या है, हर सवाल पे दिल की उदासी गाने लगते हो। मार्च का महीना है और गर्मी उफान पे, मौत चाहे क्या जो लगाए बाज़ी तूफान पे, अब घर है तेरा खाली तेरे दिल की ही तरह, यह क्या जुनून है जो दिल अपना जलाने लगते हो। अब मैं भी देखता हूँ खुदसे भागता है कितना, कितना तू सोएगा और जागता है कितना, तू ख़तावार नहीं उसका तो किसका है "साहू", इसी बात पे बता खुदको क्यों उलझाने लगते हो।।। :-the_broken_gumnaam kabhi kabhi #Shayari #Shayar #Love #SAD