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सारे जहाँ के रस्मों रिवाजों से जुदा हमारा रिश्त




सारे जहाँ के रस्मों रिवाजों से जुदा हमारा रिश्ता है,
हर बेड़ी और हर बंँधन से आजाद हमारा रिश्ता है।

हम दोनों की खामोशी के दरमियांँ भी बातें होती हैं,
रूबरू ना सही दिल से दिल की मुलाकातें होती है।

तेरे मेरे बीच में एक अनजाना सा अनोखा बंँधन है
बिना किसी चाहत के भी जुड़ी तेरी मेरी चाहत है।

तू मेरे पास नहीं फिर भी दिल का चैन-ओ-करार है
बिना इजहार व इकरार के भी हम दोनों को प्यार है।

तू गर मेरा हमसाया नहीं तो उससे कम भी नहीं है
तू मेरी चाहत नहीं है पर फिर भी रूह की राहत है। Any writer can write about *"ख़ामोशी के दरमियाँ"*

*RULES*📜-

1. The word given above must come atleast once in your write-up.

*Poem should be in maximum 20lines/200 words,*



सारे जहाँ के रस्मों रिवाजों से जुदा हमारा रिश्ता है,
हर बेड़ी और हर बंँधन से आजाद हमारा रिश्ता है।

हम दोनों की खामोशी के दरमियांँ भी बातें होती हैं,
रूबरू ना सही दिल से दिल की मुलाकातें होती है।

तेरे मेरे बीच में एक अनजाना सा अनोखा बंँधन है
बिना किसी चाहत के भी जुड़ी तेरी मेरी चाहत है।

तू मेरे पास नहीं फिर भी दिल का चैन-ओ-करार है
बिना इजहार व इकरार के भी हम दोनों को प्यार है।

तू गर मेरा हमसाया नहीं तो उससे कम भी नहीं है
तू मेरी चाहत नहीं है पर फिर भी रूह की राहत है। Any writer can write about *"ख़ामोशी के दरमियाँ"*

*RULES*📜-

1. The word given above must come atleast once in your write-up.

*Poem should be in maximum 20lines/200 words,*