कोई सवाल नही करना हमे, ना कोई जवाब के तलबगार है, बिताये लम्हे जो बाहों में जिसके, वो तुम्हारा सरताज है, फर्क नही पड़ता है गिनती क्यों करू, हो पल भर की रुमानगी या एक पहर की हो राहत, वो तुम्हारा शारीक-ए-हयात है, हमारा क्या हम तो भटके मुसाफिर थे कभी, आज आवारा फिरते है गलियों में तेरी... ©PrabhaShri आवारा फिरते है..... #HeartBreak #Broken