कविताई मीठा जहर है, जीवन में पूरा असर है। शब्दों का खेल प्यारा वो, करता न वारा न्यारा वो, वारा ही मगर जाये हैं- जीवन कि श्वास पराये हैं, एक मिठास अभिव्यक्ति में, टेक निराश पर व्यक्ति में, हाय खटास अनुरक्ति में, रक्त ही ज्यों ना शक्ति में। मीठा हो कुछ ,निर्मोहीपन , जहर वो प्राप्त न पर्याप्त धन । -----सरोज रंजन'कलम के बूते' ©BANDHETIYA OFFICIAL कविताई मीठा जहर !🙏