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साथ हो तुम मेरे फिर भी साथ अधूरा-सा लगता है है सबक

साथ हो तुम मेरे फिर भी साथ अधूरा-सा लगता है
है सबकुछ पास मेरे फिर क्यूँ छूटा-सा लगता है

जी रही हूँ ज़िंदगी मैं पर कुछ मरा-सा लगता है
आ चुकी आगे पर कुछ पीछे रह गया-सा लगता है

नहीं रुक सकती कोई आगे खींचता-सा लगता है
हाँ कुछ तो है ज़रूर जो कुछ कहता-सा लगता है
🌹 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार...📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को एकादश प्रतियोगिता में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥11:- अधूरा लगता है
साथ हो तुम मेरे फिर भी साथ अधूरा-सा लगता है
है सबकुछ पास मेरे फिर क्यूँ छूटा-सा लगता है

जी रही हूँ ज़िंदगी मैं पर कुछ मरा-सा लगता है
आ चुकी आगे पर कुछ पीछे रह गया-सा लगता है

नहीं रुक सकती कोई आगे खींचता-सा लगता है
हाँ कुछ तो है ज़रूर जो कुछ कहता-सा लगता है
🌹 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को एकादश प्रतियोगिता में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥11:- अधूरा लगता है