ख़ामोशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिये, ये तमाशा अब सरे बाज़ार होना चाहिये.. ! अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात, जो ये कहते थे कि बस दीदार होना चाहिये..!!