तेरी हाथों के थप - थपाहट में, मां वही नरमी है ठिठुरती सर्दी में भी , मां तुम्हारी आंचल के पनाह में वही गर्मी है वर्षों बाद भी कुछ नहीं बदला है तुमसे लिपटने के बाद मुझे मेहसूस हुआ आज भी बचपन वाला वही सुकून मां मुझे मिला है ((((((((❤️ तेरी हाथों के थप - थपाहट में मां वही नरमी है ❤️))))))) _________________________________________________ ❤️❤️_______________सच कहते हैं सभी अगर तक़दीर लिखने का हक__________ ________मेरी मां को मिला होता तो एक भी गम मेरे किस्मत में न होता ______❤️❤️