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हर रोज़ चला जाता हूं उनके दर पर, शहर में मयख़ाने औ

हर रोज़ चला जाता हूं उनके दर पर, शहर में मयख़ाने और भी तो हैं
ہر روز چلا جاتا ہن انکے در پر، شہر میں میخانے اور بھی تو ہیں۔
कुछ अश्क़ मुझे इश्क़ ने भी दिए लेकिन, ग़म के फसाने और भी तो हैं
کچھ اشق مجھے عشق نے بھی دیے لیکن، غم کے فسانے اور بھی تو ہیں۔۔
©sifarish1994 #maikhana#nojotohindi#nojotourdu#arshadsays#sifarish1994
हर रोज़ चला जाता हूं उनके दर पर, शहर में मयख़ाने और भी तो हैं
ہر روز چلا جاتا ہن انکے در پر، شہر میں میخانے اور بھی تو ہیں۔
कुछ अश्क़ मुझे इश्क़ ने भी दिए लेकिन, ग़म के फसाने और भी तो हैं
کچھ اشق مجھے عشق نے بھی دیے لیکن، غم کے فسانے اور بھی تو ہیں۔۔
©sifarish1994 #maikhana#nojotohindi#nojotourdu#arshadsays#sifarish1994