सिकुड़कर बैठा है जो दिल कोने में इक नज़र की इधर भी इनायत कीजिए । दिल ग़रीब का ग़मगीन है 'पासवान' चिराग़ खुशी की इधर भी जलाईये । #क़लम_ए_ख़ास