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सर पर लाल चुनरी जब ढकती है, माथे पर जब वो तिलक सजत

सर पर लाल चुनरी जब ढकती है, माथे पर जब वो तिलक सजती है, बाल जब माथे के नीचे लटकती है, होंठो पे जब ये मुस्कान चहकती है, किसी परी से क्या तुलना करू तेरी, तू किसी मूरत से कम नहीं लगती है।। #murat #surat
सर पर लाल चुनरी जब ढकती है, माथे पर जब वो तिलक सजती है, बाल जब माथे के नीचे लटकती है, होंठो पे जब ये मुस्कान चहकती है, किसी परी से क्या तुलना करू तेरी, तू किसी मूरत से कम नहीं लगती है।। #murat #surat