माँ (read in caption) निले गगनसे सुरज कि रोशनी जैसे छिन सी गयी है, जब से माँ बिमार रेहने लगी है ; पूनम कि रात भी अमावस बन गयी है, जब से माँ बिमार रेहने लगी है ; इस मासुम दिल कि धडकने भी अब तेज होने लगी है, जब से माँ बिमार रेहने लगी है ; इस खिलखीलते आंगण कि हंसी कही गुम हो गयी है, जब से माँ बिमार रेहने लगी है ;