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परवरिश दम तोड़ देता है संयम,जब खुद की औलाद खुद के

 परवरिश
दम तोड़ देता है संयम,जब खुद की औलाद
खुद के आंसुओं की वजह बन जाते हैं 
परवरिश में कुर्बान किये
एक एक क्षण लाश बन जाते हैं
अपनी सारी खुशियां, सारे सपने
सारे अरमान जो
परवरिश की अग्नि में स्वाहा कर दिए मैंने
सोचा तपकर कुंदन सा चमकेगा
पर राख तक नसीब नहीं हुई
दिल ही नहीं आत्मा तक छलनी हो जाता है
जब खुद का खून, खून के आँसू रुलाता है
जानती हूं बार बार जख्म मिलेंगे
बार बार लहूलुहान हो जाऊँगी
पर फिर भी तुम्हारे लिए ढाल बन जाऊँगी
जब भी तुम भूखे होगे,
तुम्हें अपने हाथों से खिलाऊंगी

©Renuka Priyadarshini
  #परवरिश